Bachon Ki Kahani In Hindi

Bachon ki kahani in hindi – मजेदार रोचक हिंदी कहानियां

Contents

आज के इस लेख बच्चों की कहानी इन हिंदी ( Bachon Ki Kahani In Hindi ) में आप सभी लोगों का स्वागत है | आज यहां पर हम बच्चों के लिए कुछ मनोरंजन कहानियां लेकर आए हैं , जिनको आप नीचे पढ़ सकते हैं


Bachon Ki Kahani In Hindi | बच्चों की कहानी इन हिंदी

Story No.1 :- काम की कीमत

यह कहानी एक राजा की है , जिनका नाम था राणा उदय सिंह। राजा अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे और वह उनका ख्याल भी रखते थे। वह अपने गांव के लोगों के बारे में जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे।

एक दिन राजा अपने कुछ दरबारियों को बुलाकर उनसे कहते हैं:- “ जाओ और देखो कि मेरी प्रजा गांव में कैसा जीवन व्यतीत कर रही है और उस इंसान को मेरे पास लेकर आओ जिसे अपने काम की कीमत हो और जो अपना काम पूरी ईमानदारी से करता हो । पर एक शर्त है , कि उन्हें पता नहीं चलना चाहिए कि आप लोगों को मैंने भेजा है ”। दरबारियों को उनके राजा द्वारा कही गई बातें समझ नहीं आई और वे वहां से चले जाते हैं। वे सोचते हैं , कि राजा का दिया हुआ काम वे कैसे करेंगे। सब मिलकर योजना बनाने लगते है और आखरी में सारे दरबारी एक योजना पर सहमत होते हैं।

अगले दिन सारे दरबारी आदिवासियों के भेष में बैलगाड़ी में बैठकर गांव पहुंच जाते हैं और वहां घूमते हुए लोगों को ध्यान से देखते हैं। घूमते घूमते उन्हें एक लकड़हारा दिखता है , जो पेड़ काट रहा होता है। वे लकड़हारे के पास जाकर उससे पूछते हैं:- क्या तुम्हें अपना काम पसंद है ? लकड़हारा कहता है:- नहीं ! मैं यह काम इसीलिए करता हूं , क्योंकि मेरे पूर्वज भी यही करते थे और मेरे माता पिता ने मुझे यह काम करने के लिए मजबूर किया है । यह सुनकर दरबारी उसे अलविदा कहते हैं और वहां से चले जाते हैं।

आगे जाने पर उन्हें एक गुस्सैल धोबी मिलता है और वे जाकर उससे  कहते हैं:- “ नमस्ते भाई हम बाहर गांव से आए हैं और इस जगह में नए हैं। हम यहां अपने दोस्त राम से मिलने आए हैं। आप कृपया करके हमें उसका पता दे सकते हैं ? धोबी गुस्से में जवाब देता है:- क्या तुम सब पागल हो , देख नहीं रहे मैं क्या कर रहा हूं। मैं एक बेवकूफ हूं और बेवकूफी वाला काम कर रहा हूं। दरबारी उससे पूछता है कि:- “ क्या तुम्हें अपना काम पसंद नहीं है ” धोबी कहता है:- “ नहीं ! मैंने बचपन में अच्छे से पढ़ाई नहीं की और उसी वजह से आज धोबी बन गया हूं। मैं यह काम इसीलिए करता हूं , ताकि अपने परिवार को दो वक्त की रोटी खिला सकूं। दरबारी उसे परेशान करने के लिए उससे माफी मांगते हैं और वहां से चले जाते हैं।

वहां से जाते वक्त उन्हें अचानक से एक छोटी कुटिया दिखती है , जहां पर दिए जल रहे होते हैं और कुछ बच्चे पढ़ रहे होते हैं। उन्हें पता चलता है , कि वह एक स्कूल है। वे स्कूल के अंदर जाकर वहां के अध्यापक से वही सवाल पूछते हैं:- “ क्या उसे अपना काम पसंद है ” इस पर अध्यापक जवाब देता है:- “ मुझे अपने काम से बहुत प्यार है और इन छोटे बच्चों को ज्ञान देकर मुझे खुशी और शांति मिलती है ”। अध्यापक की बातें सुनकर दरबारी उन्हें राजा के पास ले जाते हैं।

राजा उस अध्यापक को सराहना देता है , क्योंकि उसे अपने काम की कद्र थी और वह उससे पूरी शिद्दत के साथ करती थी । वह उसे पुरस्कार देते हैं और गांव में एक नया स्कूल भी बनवाते हैं।

शिक्षा:- आप किसी भी काम को अच्छे से तभी कर सकते हैं, जब आप उस काम से प्यार करते हैं और आपको उस काम की कीमत होती है, क्योंकि काम ही पूजा है।


Story No. 2 :- छोटी चिड़िया 

एक घोसले में एक प्यारी सी चिड़िया अपने चार बच्चों के साथ रहा करती थी। वे सब साथ में हमेशा ही खुश रहते थे। मम्मी चिड़िया अपने बच्चों का बहुत ख्याल रखती थी। वह अपने बच्चों के लिए खाना और पानी लेकर आती थी और उनका बहुत अच्छे से पालन पोषण करती थी। मम्मी चिड़िया के सारे बच्चे अब उड़ने लायक हो गए थे। वह अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना चाहती थी , ताकि वो खुद के लिए खाना पानी खोजना सीख पाए।

मम्मी चिड़िया अपने सारे बच्चों को उड़ने का प्रशिक्षण देती है। वह रोज उन्हें उड़ना सिखाती है। धीरे-धीरे उनके तीनों बच्चे उड़ना सीख जाते हैं एक को छोड़कर जिसके पंख कमजोर थे और वह चाह कर भी उड़ नहीं पा रही थी। वह चिड़िया अपने भाई बहनों में सबसे छोटी थी। छोटी चिड़िया बहुत कोशिश करती उड़ने की पर वह हर बार असफल हो जाती और इसी  के कारण छोटी चिड़िया के भाई बहन उसे बहुत चिढ़ाते और उसका बहुत मजाक उड़ाते । छोटी चिड़िया कुछ कर भी नहीं सकती थी , वह खाने के लिए दूसरों पर निर्भर थी। रोज मम्मी चिड़िया और उनके बाकी बच्चे खाने की तलाश में निकलते । छोटी चिड़िया घोसले की साफ सफाई करती और उसका ख्याल रखती।

एक दिन घोसले की सफाई करते वक्त छोटी चिड़िया देखती है , एक बिल्ली उनके घोसले की तरफ बढ़ रही है। चिड़िया जैसे तैसे उड़कर जमीन से छोटे-छोटे कंकड़ और लकड़ी के टुकड़े लेकर उस बिल्ली पर हमला करती है और वह बिल्ली वहां से चली जाती हैं। अब छोटी चिड़िया समझ गई थी , कि आगे भी उन्हें ऐसे परेशानी आ सकती है और इसीलिए वह बहुत सारे छोटे छोटे पत्थर और लकड़ी के कुछ टुकड़े जमा करके अपने घोसले पर रख देती है।

एक रात की बात है , मम्मी चिड़िया और उनके बच्चे घोसले में बहुत ही सुकून से सो रहे थे। छोटी चिड़िया की नींद खुल जाती है और उसे कुछ आभास होता है।  वह उठकर देखती है , कि एक सांप चुपचाप उनके घोसले की तरफ बढ़ रहा होता है। छोटी चिड़िया अपनी मम्मी और अपने भाई-बहनों को उठाती है और उन सबको अपने जमा किए हुए पत्थर और लकड़ी के टुकड़े पकड़ा कर उसपर पर हमला करने कहती है। सारी चिड़िया ऐसा ही करती है और ऐसा करने के बाद वह सांप वहां से चला जाता है। सब मिलकर छोटी चिड़िया को धन्यवाद कहते हैं , उनकी जान बचाने के लिए और उसके बाद वह छोटी चिड़िया को परेशान करना छोड़ देते हैं । मम्मी चिड़िया और उनके सारे बच्चे खुशी-खुशी रहते हैं।

इस Bachon Ki Kahani In Hindi से हमें यह सीख मिलती है , कि सब के पास एक अलग खूबी होती है। आप दूसरों से अलग है , इसका मतलब यह नहीं कि आप कमजोर हैं। आपका अलग होना ही आपको विशेष बनाता है। अगर छोटी चिड़िया को भी उड़ना आता तो वो कभी खुद की और घोसले की हिफाजत करना नहीं सिखाती और ना ही वह किसी की जान बचा पाती । इसीलिए हमें सब से प्यार करना चाहिए और सब का ख्याल रखना चाहिए।


Bachon Ki Kahani In Hindi

 Story No. 3 :- राम और श्याम 

यह कहानी है , दो भाइयों की जिनमें से एक का नाम था राम और एक का श्याम। राम और श्याम के माता पिता का देहांत हो गया था और वह दोनों छोटे-मोटे काम करके ही अपनी जिंदगी चला रहे थे। गांव वालों का मानना था , कि दोनों भाई एक दूसरे से एकदम ही अलग है।

राम एक बहुत ही अच्छा इंसान था , वह बुजुर्गों की इज्जत करता था और बच्चों का ख्याल रखता था। सारे गांव वाले राम को बहुत पसंद करते थे , क्योंकि वह गरीबों की भी बहुत मदद करता था। पर यह सब तो गांव वालों का नजरिया था। सच्चाई तो यह थी , कि राम एक बहुत ही दिखावटी इंसान था। वह बस दूसरों का दिल जीतने के लिए और वाहवाही बटोरने के लिए अच्छा इंसान बनने का नाटक करता था। पर गांव वाले राम के इस नकली बर्ताव से अनजान थे।

वहीं दूसरी ओर श्याम गांव वालों की नजरों में बहुत ही बुरा इंसान था। वे सब उससे काफी नफरत करते थे, क्योंकि उसे जुआ खेलने की लत थी, जिसकी वजह से वह करजे में डूब गया था । वह स्वभाव से बहुत ही गुस्सेल था , जिसकी वजह से आए दिन उसकी किसी ना किसी से लड़ाई होती रहती थी। परंतु शाम दिल का बहुत अच्छा था , वह बस किस्मत का मारा था और हालातों ने उसे बुरा इंसान बना दिया था । वह अपने मन में कभी किसी का बुरा नहीं सोचता था और अगर किसी की मदद भी करता था , तो उसका कोई दिखावा नहीं करता था।

राम और श्याम के एक चाचा थे , जो शहर में रहा करते थे। उनके चाचा का कोई बेटा नहीं था और इसीलिए अब उनके सारे संपत्ति का वारिस राम और श्याम होने वाले थे। परंतु चाचा जी बहुत चतुर थे, वो अपनी संपत्ति उसके ही नाम करना चाहते थे जो उसका सही उपयोग कर सकें। इसीलिए वो उनकी परीक्षा लेते हैं । गांव वालों से दोनों भाइयों के बारे में जानने के बाद उन्हें पता चलता है , कि राम एक अच्छा इंसान है और शाम बुरा पर वो खुद ही इस बात का आकलन लगाना चाहते थे , कि यह बात सही है या नहीं।

चाचा जी राम के पास एक बहरूपिया बनकर जाते हैं । वह राम से अपने अनाथालय के लिए कुछ दान करने को कहते हैं , पर राम बहाना बनाकर उन्हें दान देने से मना कर देता है। चाचा जी को राम का यह बर्ताव बहुत ही बुरा लगता है। अब वह श्याम की परीक्षा लेने जाते हैं , वह श्याम के पास भी एक बहरूपिया बनकर जाते हैं और उससे भी अपने अनाथालय के लिए दान मांगते हैं ।

शाम कहता है , कि मैं तो पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ हूं , तो मै दान कैसे कर सकता हूं। पर मैं आपसे वादा करता हूं , कि अगर मुझे मेरे चाचा जी की संपत्ति मिलती है , तो मैं आपके अनाथालय में एक बड़ी रकम जरूर दान करूंगा। चाचा जी यह बात सुनकर बहुत खुश हो जाते हैं और वह समझ जाते हैं , कि उनकी संपत्ति का सही हकदार कौन है। और वह अपना सब कुछ श्याम के नाम कर देते हैं।

इस Bachon Ki Kahani In Hindi से हमें यह सीख मिलती है , कि जो जैसा दिखता है वह असल में वैसा नहीं होता। यह दुनिया दिखावटी लोगों से भरी हुई है। सबको दूसरों के सामने अच्छा बनना है। पर सही इंसान तो वही है , जो अपने अच्छे होने का दिखावा नहीं करता और जिसके लिए दूसरों की खुशियां सबसे ज्यादा मायने रखती है।


Story No. 4 :- कौन श्रेष्ठ है ?

राहुल और रिया दोनों जुड़वा भाई बहन थे। वह हमेशा इस बात पर लड़ते थे , कि उन दोनों में से कौन बेहतर है। फिर चाहे वह पढ़ाई हो या खेलकूद एक दूसरे को हराने में और नीचा दिखाने में उन्हें बहुत मजा आता था। उनकी यह लड़ाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। वे एक दूसरे को हर छोटी से लेकर बड़ी चीज में तुलना करने लगे थे।

एक दिन रिया और राहुल के स्कूल से आने के बाद उनकी मम्मी उन्हें पीने के लिए हल्दी वाला दूध देती है और उन्होंने इसे भी एक प्रतियोगिता में तब्दील कर दिया। राहुल कहता है , कि हम दोनों में से जो सबसे पहले यह दूध का गिलास खत्म करेगा वह जीत जाएगा और दोनों ही जल्दी-जल्दी अपना दूध पीने लगते हैं।

जल्दी दूध पीने की वजह से रिया को बहुत जोर से खांसी आती है और उनकी मम्मी उन्हें ऐसा करने के लिए उन पर बहुत गुस्सा करती है। राहुल और रिया के मम्मी पापा अपने बच्चों के इस बर्ताव से बहुत परेशान हो गए थे और इसीलिए वह उन्हें ठीक करने के लिए एक तरकीब निकालते हैं।

एक दिन वे अपने बच्चों से कहते हैं , कि आज वह कहीं बाहर घूम कर आना चाहते हैं और इसीलिए आज उन्हें उनका थोड़ा काम करना पड़ेगा। वो राहुल को खाना बनाने को कहते हैं और  रिया को कंप्यूटर मे अपने ऑफिस का एक लिस्ट तैयार करने को कहते हैं। यह बात सुनते ही राहुल अपने पापा से कहता है , कि मुझे तो खाना बनाना बिल्कुल नहीं आता पर मुझे कंप्यूटर में काम करना बहुत अच्छे से आता है। आप हम दोनों के काम बदल दो। राहुल के पापा कहते हैं , कि यही तो तुम दोनों के लिए चुनौती है। तुम दोनों को वही काम करना होगा । ऐसा बोलकर वह घर से बाहर चले जाते हैं।

राहुल किचन में जाकर सोचता है , कि वह क्या बनाएगा पर उसे कुछ समझ नहीं आता। वही रिया को कंप्यूटर में ढंग से काम करना नहीं आता और इसीलिए उसे समझ नहीं आ रहा था , कि वह लिस्ट कैसे तैयार करेगी। उनके पास समय बहुत कम था और दोनों ने अब तक अपना काम करना शुरू भी नहीं किया था तंग आकर राहुल रिया के पास जाता है और उसे खाना बनाने के लिए मदद मांगता है।

रिया कहती है कि मैं तुम्हारी मदद तभी करूंगी जब तुम लिस्ट बनाने में मेरी भी मदद करोगे। राहुल मान जाता है , रिया राहुल को खाना बनाने की विधि बताती है और वह खुद से ही खाना बना लेता है। उसके बाद राहुल भी रिया को लिस्ट बनाना सिखाता है और फिर वह खुद से लिस्ट बना लेती हैं। जब उनके मम्मी पापा घर में आते हैं , तो वह बहुत खुश होते हैं की उनका दिया हुआ काम उनके बच्चों ने अच्छे से कर लिया।

रिया अपने पापा से कहती है , कि मैंने लिस्ट बनाने में भाई की मदद ली है पर वो उसने खुद से ही बनाया है। राहुल भी कहता है , कि रिया के बगैर वह खाना बना ही नहीं पाता। उनके पापा कहते हैं , कि मैं तुम लोगों को यह काम देकर इसलिए गया था ताकि मैं तुम्हें समझा सकूं कि तुम दोनों को जिंदगी में कुछ करना है , तो एक दूसरे का साथ देना होगा। हर इंसान हर चीज में अच्छा नहीं होता और इसीलिए एक दूसरे से लड़ने के बजाय एक दूसरे का साथ देना सीखो।

पापा की यह बात सुनकर राहुल और रिया समझ जाते हैं , कि वह एक दूसरे के बिना अधूरे हैं और वह खुशी-खुशी एक दूसरे के साथ रहने लगते हैं।


Bachon Ki Kahani In Hindi

Story No. 5 :- दोस्ती

राहुल और शिव बहुत अच्छे दोस्त थे। पूरे स्कूल में उनकी दोस्ती की चर्चा होती थी। वह हमेशा साथ रहते साथ पढ़ते और साथ में टिफिन भी किया करते थे । दोनों हमेशा अच्छे नंबरों से पास भी हो जाया करते थे। वे दोनों एक दूसरे के लिए इतनी महत्वपूर्ण थे , कि एक दूसरे की दोस्ती के अलावा उन्हें और किसी की दोस्ती की जरूरत नहीं थी। दोनों एक दूसरे में ही खुश रहते थे।

एक दिन राहुल और शिव की क्लास में एक नया लड़का आया अंकित । अंकित बहुत ही घमंडी बच्चा था , उसे अपने मम्मी पापा के पैसों पर बहुत घमंड था। और इसलिए वो बहुत ही ज्यादा दिखावटी था। वह अक्सर अपने क्लास के लोगों का दिल जीतने के लिए नई-नई चीजें लाकर उन्हें दिखाता था और सब उससे बहुत प्रभावित हो जाते। सिर्फ दो लोगों को छोड़कर राहुल और शिव।

अंकित को राहुल और शिव की दोस्ती से बहुत जलन होती थी। उसे लगता था , कि उसके पास ऐसा दोस्त क्यों नहीं है , जो हमेशा उसके साथ रहे। उसे इस बात से भी जलन होती थी , कि राहुल और शिव उससे प्रभावित नहीं होते थे और इसलिए उसने ठान लिया कि वो राहुल और शिव की दोस्ती तुड़वा कर रहेगा।

वह राहुल और शिव के बीच में गलतफहमियां पैदा कर , दोनों की दोस्ती में दरार डालने की कोशिश करता है। शुरू में उसकी यह कोशिशें असफल हो रही थी पर धीरे-धीरे उसे सफलता मिलती गई । अंकित राहुल से कहता था , कि शिव बुरा इंसान है। एक तो वह बहुत गरीब है और तुम से जलता भी बहुत है। वह सिर्फ तुम्हारा फायदा उठाना चाहता है और इसीलिए तुम्हें मुझ जैसे अमीर लड़के से दोस्ती करनी चाहिए ना ही शिव जैसे गरीब से।

राहुल को अंकित यह बात अच्छी नहीं लगती पर अंकित ने शिव के खिलाफ राहुल के मन में इतनी कड़वाहट भर दी थी , कि वह यह बात मान जाता है। अब राहुल और अंकित दोस्त बन चुके थे। शिव अकेला पड़ गया था। वह हमेशा राहुल से बात करने की कोशिश करता पर अंकित उसे ऐसा करने से रोक देता।

एक दिन स्कूल के बाद राहुल और अंकित अपनी अपनी साइकिल से घर जा रहे थे। बीच रास्ते में राहुल की साइकिल का टायर पंचर हो गया। वह अंकित से मैकेनिक के पास साथ चलने की मदद मांगता है पर अंकित देर होने का बहाना लगाकर उसे अकेला छोड़ कर चला जाता है। अब राहुल बेचारा सुनसान रास्ते में अकेले ही अपनी साइकिल घसीटते मैकेनिक ढूंढने लगता है , तभी पीछे से शिव आता है अपनी साइकिल लेकर और वह राहुल के साथ-साथ चलने लगता है। राहुल शिव को देखकर आश्चर्य हो जाता है। शिव राहुल से कहता है चल दोस्त मैं तुझे अपनी साइकिल की सवारी दे देता हूं , अब एक मकैनिक खोज कर लाएंगे और तेरी साइकिल ठीक होने के बाद ही घर वापस जाएंगे। राहुल यह सब चुपचाप सुन रहा होता है , उसके आंखों में आंसू आ जाते हैं । वह शिव को बड़ी जोर से गले लगा लेता है और उससे अपनी गलती की माफी भी मांगता है। वह शिव से कहता है , कि तू ही मेरा असली दोस्त है तेरे अलावा मुझे किसी और की कोई जरूरत नहीं। मुझे माफ कर दे भाई। और दोनों फिर से पहले जैसे दोस्त बन जाते हैं।

इस Bachon Ki Kahani In Hindi से हमें यह सीख मिलती है , कि आपको आपकी जिंदगी में बहुत से लोग मिलेंगे पर जरूरी नहीं है , कि वह सब आपकी दोस्ती के लायक हो । सच्चा दोस्त वही है , जो मुसीबत के वक्त काम आए ना कि वह जो मुसीबत में आप को अकेले छोड़कर भाग जाए।


तो अंत में दोस्तों यह थी , Bachon Ki Kahani In Hindi या फिर बच्चों के लिए कुछ साधारण , मजेदार , रोचक हिंदी कहानियां | इन कहानियों से बच्चों को अच्छी सीख मिलेगी साथ ही इन्हें आप अपने बच्चों को सुना सकते हैं |

दोस्तों यदि आपको हमारा या लेख अच्छा लगा या फिर हमारी कहानी अच्छी लगी हो , तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें , उन्हें भी इस प्रकार की कहानी के द्वारा शिक्षा मिल सके |

Be A Member Of Paheliyaninhindi:- Paheliyaninhindi On FB

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *