Topiwala aur bandar ki kahani – टोपीवाला और बंदर की कहानी
एक बार एक टोपीयो का व्यापारी अपनी टोपिया बेचने के लिए गांव से दूर शहर जा रहा था| चलते- चलते वह बहुत थक गया था और इसलिए उसने सोचा कि वह आराम कर ले| उसे एक बड़ा सा पेड़ दिखता है और वह सोचता है , कि वह उसकी ही छांव में आराम करेगा| व्यापारी पेड़ के नीचे जाता है और वहां पर बैठकर घर से लाया हुआ अपना भोजन करता है| भोजन करने के पश्चात वह अपनी टोपीयो की टोकरी को वहीं पर रखकर आराम से सो जाता है| व्यापारी बहुत ही निश्चित होकर सोता है क्योंकि उसे यह पता नहीं था , कि उस पेड़ में बहुत सारे बंदर है , जो कि छुपे हुए थे और उसे नजर नहीं आ रहे थे|
जब बंदर व्यापारी की रंग बिरंगी टोपिया देखते हैं , तो वह उन्हें बहुत आकर्षित लगता है और इसीलिए एक-एक करके सारे बंदर उसकी टोपिया चुरा लेते हैं और उसे सर में पहन कर खूब आनंद लेते हैं|
व्यापारी जब नींद से उठता है , तो अपनी टोपिया गायब देख बहुत चिंता में आ जाता है| वह आस-पास खोजता है पर उसे उसकी टोपीया नहीं मिलती| तभी उसकी नजर पेड़ में बैठे बंदरों पर पड़ती है जो सिर में उसकी टोपी पहने उसे ही चिड़ा रहे थे| व्यापारी बंदरो को डराने की कोशिश करता है , ताकि वह डर के मारे उसे उसकी टोपिया वापस कर दे पर बंदरों को व्यापारी से थोड़ा भी डर नहीं लगता और उल्टा सारे बंदर व्यापारी को उसी तरह डांट रहे थे जैसा वह उन्हें डांट रहा था| व्यापारी जो भी करता बंदर उसकी वैसी ही नकल करते| यह देखकर व्यापारी को एक तरकीब सूझी|
व्यापारी अपने हाथ जोर- जोर से हवा में हिलाने लगा तो बंदर भी उसका देखा- देखी वैसा करने लगे| फिर वह जोर-जोर से कूदने लगा और बंदर भी वैसा ही करने लगे और इसके बाद व्यापारी ने अपने सिर में पहनी टोपी को उठा कर फेंक दिया और नकल करने की आदत से मजबूर सारे बंदरों ने भी अपने सिर से टोपी उठा कर जमीन पर फेंक दिया|
जैसे ही उन्होंने अपनी टोपी फेकी व्यापारी ने उन्हें उठाया और लेकर चलता बना|
शिक्षा:- इस Topiwala aur bandar ki kahani से हमें यह शिक्षा मिलती है , कि अगर हम किसी भी मुश्किल में धैर्य रखते हैं और दिमाग से काम लेते हैं , तो हमें उस मुश्किल का हल मिल जाता है|
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