Sher Aur Bandar Ki Kahani

शेर और बंदर की कहानी | Sher Aur Bandar Ki Kahani

शेर और बंदर की कहानी | Sher Aur Bandar Ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है| एक जंगल में एक पहाड़ हुआ करता था, जिस के पेड़ में तीन बंदर रहते थे| उस पहाड़ में उन तीनों के अलावा और कोई भी नहीं रहता था|  उन बंदरों को वह पहाड़ बहुत पसंद था| वह पूरा दिन एक पेड़ से दूसरे पेड़ इध -उधर उछल कूद करते रहते थे और उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं था|

वे कभी भी किसी को भी उस पहाड़ में आने नहीं देते थे और अगर कोई बाहर रहने आ भी गया तो वह बंदर उन्हें इतना परेशान करते थे कि वे कुछ दिनों में वह पहाड़ छोड़ कर चले जाते थे|

एक दिन एक शेर अपनी सेक्रेटरी सियार के साथ उस पहाड़ में रहने आता है| उस शेर का गुफा बंदरों के पेड़ के बिल्कुल नीचे था| बंदरों को बहुत गुस्सा आता है, क्योंकि वह किसी का उस पहाड़ में रहना बर्दाश्त नहीं कर सकते| तीनों बंदर मिलकर शेर के पास जाते हैं और उसे कहते हैं, कि वह इसी वक्त उस पहाड़ से चला जाए नहीं, तो वह उसे बहुत परेशान करेंगे| पर शेर तो जंगल का राजा है, तो वह बंदरों की धमकी से कैसे डर सकता है|

बंदरों की बात सुनने पर शेर को गुस्सा आ जाता है और वह उल्टा उन्हें धमका देता है, कि अगर उन्होंने उसे परेशान करने की कोशिश की तो वह उन्हें खा जाएगा| बंदर शेर की धमकी सुनकर डर जाते हैं और वहां से चले जाते हैं |

तीनों बंदर हार मानने वालों में से तो थे नहीं, वे हर हालत में शेर को और सियार को उस पहाड़ से वापस भेजना चाहते थे और इसीलिए वह शेर को परेशान करने के लिए एक योजना बनाते हैं|


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एक दिन जब शेर अपनी गुफा के बाहर सो रहा होता है, तो तीनों बंदर उसके गुफा के ऊपर से एक बहुत बड़ा सा पत्थर फेंकते हैं| वे ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि शेर यह सोच कर डर जाए, कि उस पहाड़ से पत्थर गिरते रहते हैं, जिसकी वजह से उसके साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है|

परंतु शेर तो बहुत चालाक था और वह बंदरों की चाल समझ गया| इतना बड़ा पत्थर गिरने के बाद भी टस से मस नहीं हुआ और बड़ी शांति से आराम करता रहा| बंदरों की यह योजना तो फेल हो गई जिसके बाद उन्होंने दूसरी योजना बनाई|

तीनों बंदरों ने शेर को रस्सी से बांध दिया और उसे खींचने की कोशिश करने लगे, ताकि वह उसे पकड़कर खाई से फेंक दे| पर ऐसा हो ना सका, क्योंकि शेर इतना भारी था, कि उसे उठाना आसान नहीं और साथ ही क्योंकि शेर बंदरों की चाल को अच्छे से समझता था, तो उसने अपने पंजों से  जमीन को पकड़ रखा था जिसकी वजह से वह टस से मस नहीं हुआ| अब  बंदरों की योजना एक बार और फेल हो गई|  ऐसे ही कुछ हफ्ते निकल गए पर बंदर शेर को वहां से भगाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाए|

एक दिन बंदर शेर को अपनी सेक्रेटरी सियार से बात करते हुए सुन रहे थे, जिसमें शेर सियार से कहता है, कि शिकार के बाद उसे पानी पीने जाना पसंद नहीं आता, जिसकी वजह से सियार उसके लिए पानी लाकर रख दिया करें| यह सुनकर बंदरों के दिमाग में एक आईडीया आता है| जब भी सियार शेर के लिए पानी भर कर लाता था, बंदर उसे पहाड़ से फेंक देते थे|

बंदरों की इस हरकत से अनजान शेर हमेशा सियार को ठीक से ना काम करने के लिए डांटता था| सियार अपनी सफाई में कहता था, कि वह हमेशा पानी लेकर आता है पर उसे नहीं पता कि कहां गायब हो जाता है। पर शेर को सियार की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था| लेकिन कुछ दिनों तक ऐसा होने के बाद शेर को एहसास हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है|

अगले दिन जब सियार शेर के लिए पानी लेकर आया तो शेर अपनी गुफा में छुप कर देख रहा था, कि उस पानी के साथ आखिर होता क्या है| तभी शेर देखता है, कि पानी को रखते ही वह तीनों बंदर आ जाते हैं और उस पानी को खाइ में फेंक देते हैं| तो अब शेर को पता चल गया था, कि यह सब बंदरों का काम है|

इसके बाद कुछ दिनों में बंदरों को भी पता चल गया, कि शेर सब कुछ जानता है| पर बंदर समझ नहीं पा रहे थे, कि शेर सब कुछ जानने के बाद भी उनपर गुस्सा क्यों नहीं रहा है ? साथ ही तीनों बंदर इस बात से हैरान भी थे, कि कैसे आजकल शेर हर दिन बहुत ही जल्दी शिकार करके आ जाता है ?

अब बंदरों से रहा नहीं जा रहा था और एक दिन वह शेर की गुफा में चले ही गए, उससे कुछ सवाल पूछने| उन्होंने शेर से पूछा, कि जब उसने उन्हें पानी फेंकते हुए देख लिया था, तो उन पर गुस्सा क्यों नहीं हुए ? साथ ही जब भी वे उसका सारा पानी फेंक देते हैं, तो वह पानी पीता कहां से है ? शेर इस बात पर हंस कर जवाब देता है, कि कुछ दिनों से उसका सेक्रेटरी सियार दो कटोरे में पानी लाता है, जिसमें से एक कटोरे का पानी में वह पी जाता है और दूसरे को वे लोग फेंक देते है |

फिर बंदर शेर से पूछते हैं, कि आजकल वह इतनी जल्दी शिकार कैसे कर लेता है| इस पर शेर कहता है, कि उसके जल्दी शिकार खोज पाने का सारा श्रेय बंदरों को जाता है| बंदर यह बात सुनकर बहुत कंफ्यूज हो जाते हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा होता है, कि शेर कह क्या रहा है|

तब शेर बंदरों को बताता है, कि क्योंकि वह हर रोज पहाड़ से नीचे पानी फेंकते थे, तो वहां पर बहुत सारी घास उग गई हैं, जिसकी वजह से वहां पर बहुत से जानवर आते हैं, शेर पहाड़ से उतरते वक्त उन्हें झपट्टा मार लेता है और उसे बहुत ही आसानी से शिकार मिल जाता है|

बंदर यह बात सुनकर बहुत हैरान होते हैं| शेर बंदरों को उसका बुरा सोचने के लिए धन्यवाद कहता है, क्योंकि उनके ऐसा करने पर ही उसका फायदा हुआ है| और आखिर में बंदर अपनी किस्मत पर रोते रहते हैं|


शिक्षा:- इस कहानी ( Sher Aur Bandar Ki Kahani ) से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि जब भी कोई आपका बुरा करता है या करने की सोचता है, तो उससे बाहर निकलने का रास्ता खोजना चाहिए और साथ ही उनके नुकसान करने से आपका क्या फायदा होता है, यह देख लेना चाहिए और उस चीज का लाभ उठाना चाहिए|

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