हम आपके लिए आज एक बहुत ही अच्छी lomdi aur kauwa ki kahani लेकर आए हैं | जिसे पढ़कर आपको मजा तो आएगा ही इसके साथ एक बहुत अच्छी सीख भी सीखने को मिलेगी।
मूर्ख कौवा- चालाक लोमड़ी ( lomdi aur kauwa ki kahani )
एक जंगल में एक बेहद ही चालाक लोमड़ी रहती थी | वह अपनी चालाकी से हमेशा सबको बेवकूफ बना देती थी। उसी जंगल में एक कौवा भी रहता था , जिसकी कर्कश आवाज से जंगल का हर एक प्राणी परेशान था। लेकिन कौवे को यही लगता था , कि उसकी आवाज बहुत सुरीली है | इसलिए वह हमेशा अपनी कर्कश आवाज में सारा दिन कुछ ना कुछ गाता रहता था।
एक दिन लोमड़ी अपने खाने की तलाश में जंगल में इधर-उधर घूमती रही थी। लोमड़ी हर तरफ घूम रही थी , लेकिन उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा था। धीरे-धीरे अब लोमड़ी की भूख भी बहुत तेज होने लगी थी। भूख के कारण लोमड़ी को समझ ही नहीं आ रहा था , कि वह क्या करें और कहां से अपने लिए खाना लाए। उसे जल्दी ही कुछ ना कुछ खाने के लिए चाहिए था वरना भूख के कारण लोमड़ी बेहोश हो जाती।
इधर उधर देखते हुए लोमड़ी की नजर एक कौवा पर पड़ती है। कौवा अपने मुंह में रोटी दबाकर उड़ता हुआ आ रहा था। उस रोटी को देखकर लोमड़ी के मुंह में पानी आ जाता है। लोमड़ी सोचती है , कि उसे किसी भी तरह ये रोटी कौवे से लेनी ही होगी। लेकिन उसके पास इतनी ताकत नहीं थी , कि वह लड़ाई करके उस रोटी को ले। इसलिए लोमड़ी सोचती है , कि वह कौवे को बेवकूफ बनाकर वो रोटी लेगी।
लोमड़ी कौवे का पीछा करने लगती है। जैसे ही कौवा एक पेड़ पर बैठा है | लोमड़ी भी वहां पहुंचती है और कौवे से कहती है। कौवा भैया तुम्हारी आवाज बहुत सुरीली है , मैंने तुम्हें बहुत बार गाना गाते हुए सुना है | लेकिन हमेशा मैंने तुम्हें दूर से ही सुना है आज मेरी इच्छा है , कि मैं तुम्हें सामने से गाना गाते हुए सुनूं।
कौवा लोमड़ी की यह बात सुनकर आश्चर्य में रह जाता है, क्योंकि वह तो यह जानता था , कि पूरे जंगल में उसकी आवाज को कोई पसंद नहीं करता फिर लोमड़ी ऐसा क्यों कह रही है। कौवा मन ही मन यह सोचने लगता है। जब कौवा कुछ नहीं बोलता तो लोमड़ी का दिमाग खराब होने लगता है , क्योंकि जब तक कौवा कुछ बोलेगा नहीं उसके मुंह से रोटी कैसे गिरेगी।
फिर लोमड़ी सोचती है , इसे बेवकूफ बनाने के लिए थोड़ी और मेहनत करनी होगी। जब कौवा कुछ नहीं बोलता तो लोमड़ी उदास सा मुंह बना कर कहती है लगता है , मेरी किस्मत में ही नहीं है , कि मैं आपकी आवाज सुनूं। ऐसा कहकर लोमड़ी वहां से जाने लगती है।
उसे जाते हुए देखकर कौवा सोचता है , कि पूरे जंगल में एक लोमड़ी ही तो है , जिसे उसकी आवाज पसंद है। उसे लोमड़ी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। फिर जैसे ही वह गाना गाने के लिए मुंह खोलता है , रोटी उसके मुंह से नीचे गिर जाती है और रोटी के गिरते ही लोमड़ी उस पर लपक पड़ती है और चंद सेकेंड में लोमड़ी उस रोटी को खाकर चट कर जाती है।
कौवा बेचारा देखता ही रह जाता है और लोमड़ी उस रोटी को खाकर बड़े मजे से वहां से चली जाती है। कौवा अपनी मूर्खता पर सिर्फ अफसोस करता रह जाता है।
शिक्षा- इस lomdi aur kauwa ki kahani से हमें यह शिक्षा मिलती है , कि हमें बिना सोचे समझे किसी की भी बातों में नहीं आना चाहिए। खासकर ऐसे लोगों के जो झूठी प्रशंसा करते हैं , क्योंकि ऐसे लोग अपना काम निकलने के बाद आपको पलट कर भी नहीं देखते।
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चतुर लोमड़ी ( lomdi aur kauwa ki kahani )
जंगल के एक पेड़ में कौवे का एक जोड़ा रहता था। उनके घोसले में उनका अंडा भी था कुछ समय बाद उनके अंडे से एक बच्चा निकला। बच्चे के लिए अंडे के बाहर की दुनिया बहुत नई थी , उसके लिए सभी चीजें आश्चर्य से भरी हुई थी।
दिन में तो बच्चा बहुत खुश था। लेकिन जैसे ही रात हुई बच्चा बहुत जोर जोर से रोने लगा।
कौवा- क्या हुआ बेटा तुम क्यों रो रहे हो?
तो बच्चा कहता है:- मां मुझे बहुत डर लग रहा है , यहां बहुत अंधेरा है मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।
कौवा- अरे बेटा इसमें रोने की क्या बात है। रात में तो अंधेरा होता ही है , जैसे ही सुबह होगी फिर से सब तरफ उजाला हो जाएगा।
मां के समझाने पर भी बच्चा नहीं मानता और वह बहुत जोर जोर से रोने लगता है। जंगल में दूर-दूर तक रोशनी कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रही थी और बहुत सन्नाटा होने के कारण उस पेड़ के आसपास रहने वाले सभी जानवरों की नींद भी खराब हो रही थी। कौवे के बच्चे की रोज-रोज रोने से सभी जानवर परेशान होने लगे थे।
परेशान होकर एक दिन सभी जानवर कौवे के पेड़ के नीचे आए और कौवे से पूछने लगे कि आखिर तुम्हारा बच्चा रोज रात होते ही क्यों रोने लगता है?
तब कौवा बच्चे की परेशानी सभी जानवरों को बताता है , कि बच्चा अंधेरे में डर के कारण रोने लगता है।
फिर सभी जानवर ये सोचने लगते हैं , कि आखिर बच्चे के डर को दूर कैसे किया जाए क्योंकि रात में जंगल में रोशनी लाना संभव ही नहीं था। तभी जंगल का राजा शेर कहता है , कि लोमड़ी को बुलाया जाए क्योंकि लोमड़ी जंगल में सबसे चतुर हैं। शेर को मालूम था , कि इस समस्या का हल लोमड़ी के पास जरूर होगा।
फिर लोमड़ी को बुलाया जाता है और लोमड़ी को इस समस्या के बारे में बताया जाता है। लोमड़ी थोड़ा सोचती है और फिर इस समस्या का हल बताती है। लोमड़ी कहती है , कि इसका सबसे अच्छा और आसान उपाय यह है , कि हमारे जंगल में जितने भी जुगनू है | हम उन्हें कह देते हैं , कि रात में वह सभी आप के पेड़ के आसपास सो जाया करेंगे। जिससे आपके आपके पेड़ के आसपास रोशनी रहेगी और बच्चे को डर भी नहीं लगेगा।
लोमड़ी द्वारा बताया गया यह हल जंगल के सभी जानवरों को पसंद आता है। फिर उस दिन से ऐसा ही किया जाता है। रोज रात में जंगल के सभी जुगनू आकर कौवे के पेड़ के आसपास सो जाते थे। जिससे उजाला रहता था और बच्चे को डर भी नहीं लगता था। उस दिन से बच्चा भी चैन की नींद सोता था और जंगल के सभी जानवर भी।
शिक्षा- अगर सूझबूझ से काम लिया जाए तो हर समस्या का कोई ना कोई हल निकल ही आता है।
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