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लकड़हारे की कहानी OR lakadhare ki kahani
1:- लालची लकड़हारा
Lakadhare Ki Kahani :- रामलाल एक नौजवान इंसान था , जो कि लकड़ियां बेच कर अपना जीवन व्यतीत करता था | वह हर रोज जंगल जाकर जमीन पर गिरी हुई सूखी टहनियों इकट्ठा करता था और गांव वापस आकर उसे बेचा करता था | लकड़िया बेचने से उसे इतनी आमदनी हो जाती थी , कि वह अपना खर्चा आसानी से निकाल ले |
कुछ दिनों बाद रामलाल का ब्याह हो जाता है | शादी के बाद भी सूरज वही लकड़ियां इकट्ठा करके उन्हें बेचने का काम करता था , पर अब उसकी आमदनी उसके और उसकी पत्नी के लिए काफी नहीं हो रही थी | क्योंकि रामलाल की पत्नी काफी दिखावटी और खर्चीली थी | वह सादा जीवन जीने में बिल्कुल भरोसा नहीं करती थी और इसीलिए वह हर वक्त रामलाल से पैसे मांगा करती थी |
रामलाल अपनी बीवी को नाराज नहीं करना चाहता था और इसीलिए वह सोचता है , कि वह ज्यादा पैसे कैसे कमा सकता है | अगले दिन जंगल जाकर रामलाल गिरी हुई टहनियां जमा करता है , पर वह उसे बहुत कम लगती है | इसीलिए वह आसपास के पेड़ की ताजा टहनियों को तोड़ लेता है | अब उसके पास बहुत सारी लकड़ी इकट्ठा हो जाती है और वह इसे बेच देता है | इस बार लकड़ियां बेचने पर उसे दोगुने से भी ज्यादा आमदनी होती है और वह उन पैसों को अपनी पत्नी को देता है | रामलाल की पत्नी बहुत खुश होती है। यह देखकर रामलाल भी बहुत उत्साहित हो जाता है | अब वह हर रोज ज्यादा से ज्यादा लकड़ियां बेचने लगा था | कुछ दिनों में रामलाल और उसकी पत्नी को पैसों का लोभ हो जाता है , जिसकी वजह से अब रामलाल पेड़ों को भी काटने लगा था , ताकि वह ज्यादा पैसे कमा सकें |
वह हर हफ्ते एक पेड़ काट देता | ऐसा बहुत दिनों तक चलता रहा | ज्यादा पैसे होने की वजह से रामलाल को जुआ खेलने की लत लग गई थी और वह जुए में अपने पैसे हारते जा रहा था | रामलाल को और पैसों की जरूरत थी और इसीलिए उसने सोचा कि इस बार वह एक बड़ा सा पेड़ काटेगा | वह जंगल जाकर वहां के सबसे बड़े पेड़ को काटने के लिए अपनी कुल्हाड़ी उठाता है , कि तभी उस पेड़ की एक टहनी उस कुल्हाड़ी को लकड़हारे से छीन लेती है और अपनी दूसरी टहनी से उसे बहुत जोर से जकड़ लेती है |
वह गुस्सा करते हुए कहती है , कि तुम सिर्फ अपने लोभ की वजह से इतने सारे पेड़ों को काट रहे हो | मैं तुम्हें फल, फूल और छाया देती हूं , उसके बदले में तुम मुझे काटकर पर्यावरण का नुकसान कर रहे हो | वह भी इसीलिए ताकि तुम उन पैसों से जुआ खेल सको | क्या तुम्हें पता है , कि पेड़ काटने से हमें कितनी तकलीफ होती है ? अब इस तकलीफ का एहसास मैं तुम्हें करवाऊंगी | ऐसा कहकर वह पेड़ कुल्हाड़ी से वार करने वाली होती है , कि तभी रामलाल जोर-जोर से रो कर अपनी गलतियों की माफी मांगता है | वह कहता है , कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी बीवी का क्या होगा | रामलाल की बात सुनकर पेड़ को बुरा लगता है और वह उसे छोड़ देती है | यह कहकर की अगली बार अगर उसने ऐसा किया , तो उसके लिए बहुत बुरा होगा | रामलाल भागता हुआ वहां से चला जाता है और वह पैसों का मोह छोड़ देता है|
शिक्षा:- इस Lakadhare Ki Kahani से हमें यह शिक्षा मिलती है , कि पेड़ भी हमारी तरह होते हैं । उनका जीवन भी होता है और वह सांस भी लेते हैं और साथ ही उन्हें भी तकलीफ होती है | इसीलिए हमें कभी भी पेड़ नहीं काटना चाहिए | हमें हमेशा अपने पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए |
2 :- मेहनती लकड़हारा
धनीपुर नाम के गांव में एक रामलाल नाम का लकड़हारा रहता था | वह लकड़हारा स्वभाव से बहुत ही शांत और नरम दिल का था | उसे मेहनत करना बहुत पसंद था | हमेशा लकड़ियां काटने में लगा रहता था | उस लकड़हारे के बेटे और बहू उससे परेशान हो गए थे | क्योंकि लकड़ियां काटने के बावजूद वह घर में कोई पैसे नहीं लेकर आता था | उन्हें समझ नहीं आता था , कि उनके पिताजी आखिर सारी लकड़ियों का करते क्या है | रामलाल लकड़ियां बेचने के लिए नहीं काटाता था | वह लकड़ियां काटता था , ताकि वह गांव के एक नदी में पुल बना सके , ताकि गांव वालों के लिए गांव से शहर जाना आसान हो जाए |
एक दिन रामलाल पुल बना रहा होता है , तभी वहां पर एक व्यापारी आकर रामलाल से पूछता है , कि इतने दिनों से वह यह क्या कर रहा है | उसका अता पता नहीं है और बाकी लोग उसके बारे में पूछते हैं | रामलाल व्यापारी को पुल के बारे में बताता है | व्यापारी कहता है , कि वह पुल बनाने का काम स्वयं क्यों कर रहा है | वह काम तो सरकार का है | रामलाल कहता है , कि सरकार सिर्फ झूठे वादे करती है | इतने विनती के बाद भी उन्होंने आज तक इस पुल का निर्माण कार्य शुरू भी नहीं किया | मैं पुल इसलिए बना रहा हूं , ताकि किसी को भी शहर जाने के लिए पहाड़ो से जाने की जरूरत ना पड़े और वह आसानी से कम समय में शहर पहुंच सके |
अगर यह पुल पहले बन जाता तो आज मेरी बीवी जिंदा होती | व्यापारी पूछता है , कि पुल का तुम्हारी बीवी से क्या संबंध है | रामलाल कहता है , कि मेरी बीवी बहुत बीमार थी और उसे तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत थी | पहाड़ी के रास्ते अस्पताल ले जाने की वजह से अस्पताल पहुंचने में देरी हो गई और उसकी मौत हो गई | डॉक्टर ने कहा , कि अगर मैं अपनी पत्नी को थोड़े और जल्दी ले आता , तो उसकी जान बच सकती थी | यह सुनकर व्यापारी बहुत दुखी होता है और वह रामलाल का दुख बाँट कर वहां से चला जाता है|
रामलाल के पुल बनाने की खबर सारे गांव में फैल जाती है और गांव वाले रामलाल का मजाक उड़ाने लग जाते हैं | यह कहकर कि एक अकेले इंसान का पुल बनाना संभव नहीं है | उनका कहना था , कि रामलाल अपनी पत्नी की मौत से सदमे में है और इसीलिए वह ऐसी हरकतें कर रहा है |
रामलाल के बेटे और बहू को भी अपने पिताजी पर बहुत शर्म आती थी | परंतु रामलाल किसी की नहीं सुनता और वह प्रतिदिन मेहनत करके पुल का निर्माण पूरा कर ही लेता है | जब गांव वाले , नेता और अधिकारी वहां उस पुल को देखने पहुंचते हैं , तो वह आश्चर्य हो जाते हैं | उन्हें भरोसा ही नहीं होता , कि एक इंसान अकेले इतना बड़ा पुल कैसे बना सकता है | नेताजी रामलाल से मिलकर उससे माफी मांगते हैं और उन्हें अपनी गलती का पछतावा होता है , कि इतने दिन से उन्होंने कभी भी पुल बनाने पर ध्यान भी नहीं दिया |
इसी तरह गांव के लोग भी रामलाल से माफी मांगते हैं और उसका बहुत ही धन्यवाद करते हैं । रामलाल के बेटे और बहू भी उसका पैर पड कर उससे माफी मांगते हैं , रामलाल सबको माफ कर देता है |
शिक्षा:- इस Lakadhare Ki Kahani से हमें यह शिक्षा मिलती है , कि आपका कोई भी लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है | जब आपको खुद पर दृढ़ विश्वास हो , कि आपको सफलता जरूर मिलेगी | हमें ऐसे लोगों को नजरअंदाज करना चाहिए , जो हमें हमारे लक्ष्य से दूर ले जाते हैं।
3 :- ईमानदार लकड़हारा
यह कहानी है , एक लकड़हारे की जिसका नाम था राजू | राजू एक बहुत ही मेहनती और ईमानदार इंसान था | उसने अपने जीवन में कभी भी गलत तरीके से पैसे नहीं कमाए थे | वह रोज मेहनत करके लकड़ियां काटता और उसे बेचकर अपना घर चलाता | राजू का जीवन हमेशा संघर्षों से भरा रहा पर फिर भी उसने अपने जीवन से कभी हार नहीं मानी , मेहनत करता रहा और आगे बढ़ता रहा |
एक दिन की बात है , राजू लकड़हारा हमेशा की तरह जंगल में लकड़ियां काटने के लिए जाता है | वह अच्छी लकड़ियों की तलाश में होता है पर वहां आसपास उसे कहीं भी अच्छी लकड़ियां नहीं मिलती | राजू सोचता है , कि वह नदी के पास जाकर लकड़िया काटेगा | जहां उसे अच्छी लकड़ियां मिल जाएगी | राजू ऐसा ही करता है। वह नदी के पास एक बड़े से पेड़ में चढ़कर लकड़ियां काट रहा होता है | लकड़ियां काटते वक्त राजू कि कुल्हाड़ी नदी में गिर जाती है | राजू को समझ नहीं आता है , कि यह क्या हो रहा है और वह रोने लगता है | वह अपनी कुल्हाड़ी नदी से नहीं निकाल सकता था , क्योंकि पानी बहुत गहरा था और उसे तैरना भी नहीं आता था | राजू को समझ नहीं आ रहा था , कि वह क्या करें क्योंकि उसकी कुल्हाड़ी ही उसका सब कुछ थी | उसकी रोजी-रोटी उस कुल्हाड़ी के बिना संभव नहीं थी |
राजू वहीं बैठे बैठे भगवान का ध्यान करता है और उनसे अपनी कुल्हाड़ी वापस मांगता है | राजू के प्रार्थना करने से जल से एक देवी प्रकट होती है | वह देवी राजू से उसकी परेशानी के बारे में पूछती है | राजू सारा किस्सा सुना कर उनसे कुल्हाड़ी वापस करने की विनती करता है | देवी को राजू पर बहुत दया आती है , वह एक सोने की कुल्हाड़ी निकाल कर पूछती है , कि क्या यह कुल्हाड़ी उसकी है ? राजू इंकार कर देता है | उसके बाद देवी चांदी की कुल्हाड़ी निकाल कर पूछती है , कि क्या वह कुल्हाड़ी उसकी है ? राजू उसमें भी इंकार कर देता है | अब देवी राजू की असली कुल्हाड़ी जोकी लोहे की थी , वह निकाल कर उससे पूछती है , कि क्या यह कुल्हाड़ी उसकी है ? राजू अपनी कुल्हाड़ी देखकर खुश हो जाता है और वह झट से हां कह देता है | जल की देवी को राजू की इमानदारी बहुत पसंद आती है | वह तीनों कुल्हाड़ी राजू को भेंट कर देती है , उसकी इमानदारी के लिए |
राजू मना करता है , पर जल की देवी उससे कहती है कि तुम्हारे जैसे ईमानदार इंसान इस दुनिया में बहुत कम होते हैं | जो इंसान मन के सच्चे होते हैं , वह मुझे बहुत प्रिय होते हैं | यह एक देवी का तोहफा है , तुम्हारे लिए , तूम इसे स्वीकार करके मुझे खुश कर दो | देवी की यह बात सुनकर राजू वह तीनों कुल्हाड़ी रख लेता है और खुशी-खुशी अपने घर को लौट जाता है |
शिक्षा:- इस Lakadhare Ki Kahani से हमें यह सीख मिलती है , कि चाहे कुछ भी हो जाए एक इंसान को हमेशा ईमानदार होना चाहिए क्योंकि जब आप सच्चे और ईमानदार होते हैं , तो आप ईश्वर को बहुत प्यारे होते हैं और वह आपकी ईमानदारी का तोहफा आपको जरूर देते हैं |
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