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Hello Guys, Today Here We Talk Or Writing About Hindi Moral Stories For Kids. Here You Get Short And Moral Hindi Stories Written In the Hindi Language, Especially For Kids Or Children.
These Hindi Moral Stories For Kids Is Best For Grandma, Teachers, Etc.
10 Hindi Moral Stories For Kids Or Children
Here You Get 10 Hindi Moral Stories For Kids Which Is Written In the Hindi Language. I Hope You, Will, Like The Short Hindi Stories.
1.छुपा खजाना
( Hindi Moral Stories For Kids )
यह कहानी एक गरीब किसान की है , जो कि बहुत ही मेहनती और ईमानदार आदमी था। उस किसान के तीन बेटे थे । वह तीनों बहुत ही आलसी थे और अपने पिता के काम में उनकी मदद नहीं करते थे । उन्हें मुफ्त की रोटियां तोड़ने की आदत पड़ गई थी । साथ ही हमेशा तीनों एक दूसरे से लड़ते झगड़ते रहते थे । किसान ने बहुत कोशिश की उन्हें समझाने की उन्हें ठीक करने की पर उनकी कोशिश हमेशा व्यर्थ हो गई। वे दुखी थे और उन्हें अपने बेटों के भविष्य की चिंता भी थी। किसान को भय था , कि अगर उसे कुछ हो गया तो उसके बेटे अपना जीवन कैसे व्यतीत करेंगे और इसीलिए उनकी आदतें सुधारना बहुत जरूरी हो गया था।
एक दिन वह किसान बीमार पड़ गया, जिसके बाद उस किसान ने अपने तीनों बेटों को बुलाया और कहां “ मेरे बच्चों मैं कमजोर हो चुका हूं, और बहुत बीमार हूं, मैं कभी भी मर सकता हूं , मेरे मरने के बाद तुम लोगो को जिंदगी बीताने के लिए पैसों की जरूरत पड़ेगी । हमारे खेत में मैंने एक खजाना गडाया है , जिसमें बहुत सारा पैसाा है पर कहां गडाया है , वह मैं भूल चुका हूं। मेरे मरने के बाद उन पैसों को खोज निकालना | तुम सब का जीवन आराम से कट जाएगा ” । यह बात सुनकर उन तीनों भाइयों का मन लालच से भर जाता है और वह किसी भी हालत में उस खजाने को खोजना चाहते हैं। वे खुश थे , कि उन्हें जीवन भर काम नहीं करना पड़ेगा और सारी जिंदगी आराम करने के सपने देख रहे थे।
तीनो भाई अपने बीमार पिता की बहुत सेवा करते हैं, परंतु 2 दिन बाद किसान की मृत्यु हो जाती है । उनकी मृत्यु के बाद तीनों भाई खेत में जाकर वहां का एक-एक कोना खोद लेते हैं , पर उन्हें कुछ नहीं मिलता। खुदाई करते करते उन्हें सुबह से शाम हो जाती है, वे बहुत थक भी जाते हैं , पर फिर भी भूखे प्यासे वो अपने काम में लगे रहते हैं, खजाना मिलने की उम्मीद उन्हें वहां काम करने की हिम्मत देती है। पर अंत मे उनके हाथ कुछ नहीं आता और उन्हें लगता है , कि उनके पिताजी ने उनसे झूठ कहा है और वे उनपर बहुत नाराज होते है।
अब जबकि खेत की बहुत अच्छे से खुदाई और जुताई हो गई थी , तो उन भाइयों ने उसमें गेहूं बो दिया और सबने फसल उगाने के लिऐ बहुत मेहनत की और परीणाम स्वरूप उनकी फसल बहुत अच्छी हुई , जिससे उन्होंने बहुत सारे पैसे कमाए और वे अमीर हो गए। और इसके साथ ही वो तीनो भाई एक सफल किसान बन गए।
अब वे समझ गऐ की उनके पिताजी उन्हें क्या समझाना चाहते थे। उनके झूठ के पीछे एक कारण था , वो उनहे मेहनत करना सीखना चाहते थे ।
उसके बाद वह तीनों भाई मेहनत और ईमानदारी सीख गए और हमेशा खुश रहे रहने लगे ।
शिक्षा:- बिना मेहनत के हमें कभी कुछ नहीं मिलता, अच्छी जिंदगी जीने के लिए मेहनत करना जरूरी हैl
Moral Of This Hindi Short Story:- We never get anything without hard work, it is necessary to work hard to live a good life.
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2.आलसी साहूकार
( Hindi Moral Stories For Kids )
बहुत समय की बात है, बलरामपुर नाम के गांव में एक साहूकार अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था, उसकी जिंदगी खुशहाल थी| उसके पास भगवान का दिया सब कुछ था – सुंदर सुशील पत्नी, होशियार बच्चे, खेत, जमीन-पैसे थे | लेकिन वह बहुत ही ज्यादा आलसी था, कभी काम नहीं करता था | उसकी पत्नी उसे समझा-समझा कर थक गई थी , कि अपना काम खुद करो, खेत पर जाकर देखो, लेकिन वह कभी नहीं करता था | उसकी पत्नी उसके आलस्य से बेहद परेशान थी, लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती थी |
एक दिन एक साधु, साहूकार के घर आया और साहूकार ने उसका खूब आदर सत्कार किया, और सेवा की | साधु ने साहूकार की सेवा से बेहद प्रसन्न होके साहूकार को वरदान मांगने को कहा ” साहूकार को तो मुंह मांगी मुराद मिल गयी, उसने कहा – “बाबा कोई ऐसा वरदान दो , कि मुझे खुद कभी कोई काम ना करना पड़े | आप मुझे कोई ऐसा आदमी दे दो , जो मेरे सारे काम कर दिया करें| बाबा ने उसकी यह वरदान पूरी कर दिया और कहा, “लेकिन ध्यान रहे, तुम्हारे पास इतना काम होना चाहिए , कि तुम उसे हमेशा व्यस्त रख सको | यह कहकर बाबा चले गए और एक बड़ा सा राक्षसनुमा जिन्न प्रकट हुआ. वह कहने लगा, “मालिक, मुझे कोई काम दो मुझे काम चाहिए”.
साहूकार उसे देखकर पहले तो थोड़ा डर गया और सोचने लगा। तभी जिन्न ने बोला ,” जल्दी काम दो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा “. साहूकार ने कहां, “जाओ खेत में पानी डालो “. जिन्न तुरंत गायब हो गया और साहूकार अपनी पत्नी से पानी मांग कर पीने लगा. लेकिन जिन्न कुछ ही देर में वापस आ गया और बोला, ” काम हो गया और काम दो “.
साहूकार घबरा गया और बोला , कि अब तुम आराम करो | बाकी काम कल करना जिन्न बोला, “नहीं मुझे काम चाहिए, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा. ”
साहूकार सोचने लगा और बोला, ” तो जाकर खेत जोत लो ” जि्नन गायब हो गया | साहूकार खाना खाने बैठ गया वह अपनी पत्नी से बोला , ” अब मुझे कोई काम नहीं करना पड़ेगा, अब तो जिंदगी भर का आराम हो गया ” साहूकार की पत्नी सोचने लगी , कि यह कितना गलत सोच रहे हैं | इसी बीच वह जिन्न वापस आ गया और बोला , ” काम दो, मेरा काम हो गया ” | जल्दी दो, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा”.
साहूकार सोचने लगा , कि अब तो उसके पास कोई काम नहीं बचा | अब क्या होगा ? इसी बीच साहूकार की पत्नी बोली, “सुनिए, मैं इसे कोई काम दे सकती हूं क्या ?”
साहूकार ने कहा, ” हाँ देदो “|
वह जिन्न से मुखातिब होकर बोली, ” तुम हमारे कुत्ते मोती की पूंछ सीधी कर दो | ध्यान रहे , पूंछ पूरी तरह से सीधी हो जानी चाहिए ” , जिन्न चला गया |
उसके जाते ही साहूकार की पत्नी ने कहा, ” देख लिया आपने कि आलस कितना खतरनाक हो सकता है | पहले आपको काम करना पसंद नहीं था और अब आपको अपनी जान बचाने के लिए सोचना पड़ रहा , कि उसे क्या काम दे |
साहूकार को अपनी गलती का एहसास हुआ | फिर वह बोला, “लेकिन अब हम जिन्न का क्या करे ? वो मोती की पूंछ सीधी करके आता ही होगा , यह हमें मार डालेगा | साहूकार की पत्नी हंसने लगी और बोली, “चिंता मत करो, वह लाख कोशिशों के बाद भी मोती की पूंछ सीधी नहीं कर पाएगा | पुंछ छोड़ने के बाद फिर टेढ़ी हो जाती थी , रात भर वह यही करता रहा |
साहूकार ने अपनी पत्नी से वादा किया , कि वह अब अपने काम खुद ही करेगा।
अगली सुबह साहूकार खेत जाते जाते देखता है , कि जिन्न मोती की पूछ ही सीधी कर रहा था | उसने जिन्न को छेड़ते हुए पूछा, “क्या हुआ, अब तक काम पूरा नहीं हुआ क्या ? जल्दी करो, मेरे पास तुम्हारे लिए और भी काम है”.
जिन्न बोला, “जी मालिक”.
शिक्षा :- आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है. अपनी मदद आप करने से ही कामयाबी मिलती है और आलस करने से जिंदगी में बड़ी मुसीबतें आ सकती हैं.
Moral Of This Hindi Short Story:- Laziness is man’s worst enemy. Only by helping you, you get success and laziness can cause big problems in life.
3.चालाक सियार
( Hindi Moral Stories For Kids )
यह कहानी एक आदमी की है , जो जंगल में लकड़ियां काटने जाया करता था। उसकी रोजी-रोटी लकड़ियां बेचने से ही चलती थी। एक दिन जंगल में घूमते घूमते उसने देखा , कि एक बड़े से पेड़ के नीचे एक पिंजरा रखा है और उस पिंजरे में एक शेर बंद है | उस शेर को देखकर वह आदमी बहुत डर गया | शेर ने उस आदमी को देख लिया और शेर कहने लगा – “ भाई मैं इस पिंजरे में धोखे से आ गया और इसका दरवाजा बंद हो गया , क्या तुम इस पिंजरे के दरवाजे को खोलकर मुझे आजाद कर सकते हो। तुम्हारे बड़ी मेहरबानी होगी मुझ पर, मैं तुम्हारा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा ”। शेर की मधुर आवाज सुनकर उस आदमी का सारा डर गायब हो गया और उसे लगने लगा , कि वह शेर बहुत ही अच्छा है | उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है।
शेर की मजबूरी देखकर उस आदमी को उसपर दया आ गई और उसने उस पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। जैसे ही शेर पिंजरे से बाहर आया , वह उस आदमी को खाने की कोशिश करने लगा। वहां से गुजर रहा सियार ये सब कुछ देख रहा होता है और वह जानबूझकर उस आदमी के पास जाकर उसकी मुसीबत के बारे में पूछता है, तो वह आदमी सियार को बताता है की – उसने उस शेर को पिंजरे से छुड़ाया है और अब वह उसे खाना चाहता है| इस बात को सुनकर सियार आश्चर्य होने का दिखावा करता है और शेर से कहता है की – “ तुम इतने बड़े हो और यह पिंजरा इतना छोटा है , अब मै कैसे मान लूं कि तुम इस पिंजरे में बंद थे | मुझे लगता है , कि ये आदमी झूठ बोल रहा है ”। जिस पर शेर बोलता है कि – “ यह आदमी सच बोल रहा है और मैं सचमुच में इस पिंजरे में बंद था ”। यह बात सुनकर सियार फिर से आश्चर्य होने का दिखावा करता है और शेर से कहता है कि – “ क्या तुम यह बात साबित कर सकते हो , कि तुम इस पिंजरे में बंद थे , ताकि मुझे तुम पर भरोसा हो जाए ” । यह बात सुनकर शेर गुस्से से पिंजरे के अंदर चला जाता है।
शेर के पिंजरे में जाते , हि सियार उसका दरवाजा बंद कर देता है और कहता है – “ अलविदा मेरे दोस्त तुम पिंजरे के अंदर ही अच्छे लगते हो ” जिस तरह से तुमने उस आदमी को धोखा दिया , बिल्कुल उसी तरह से मैंने तुम्हें धोखा दे दिया | अब कैसा लगा तुम्हें और इसी तरह सियार अपनी चालाकी से उस शेर को फिर से पिंजरे में कैद कर देता है , जिसके बाद वह आदमी उस सियार को धन्यवाद करता है , उसकी जान बचाने के लिए और वहां से चला जाता है।
शिक्षा :- कभी भी उन लोगों पर दया ना करें जो उसके लायक नहीं है|
Moral Of This Short Hindi Story:- Never pity those who do not deserve it.
4.इंसान और भगवान
( Hindi Moral Stories For Kids )
यह कहानी एक लड़के की है , जिसका नाम है राहुल। राहुल को घूमना और नई-नई जगह जाना बहुत पसंद था। और इसी के चलते वह पास के गांव के मेले में जाने के लिए घर से निकलता है| गर्मी का मौसम होता है और इसीलिए वह रातों-रात घर से निकल जाता है , ताकि तेज धूप से बचकर सुबह होने से पहले ही गांव पहुंच जाए। लेकिन रात भर चलने के बाद भी उसे गांव जाने में देरी हो जाती है और सूरज आसमान पर टकटकी लगाए हुए उसे देख रहा होता है। उसकी सारी योजना विफल हो जाती है और वह उदास हो जाता है । परंतु फिर भी गाँव तो उसे पहुंचना ही था, इसीलिए वह अपनी यात्रा जारी रखता है। चलते-चलते वह थक जाता है और वहां एक बरगद के पेड़ के छांव में आराम करता है ।
पेड़ की ठंडी छांव में आराम करते हुए वह ऊपर देखता है , उस पेड़ की शाखाओं को और चारों तरफ फैली हरियाली को| वह देखता है , कि पेड़ की शाखाओं में सुंदर छोटे-छोटे लाल फल लगे हुए हैं| आसपास देखने पर उसे एक कद्दू की बेल नजर आती है, जिसमें बहुत बड़े-बड़े कद्दू लगे होते हैं|
वह सोचता है , कि भगवान कितना बुद्धू है , कि उन्होंने इतने बड़े पेड में इतना छोटा फल लगाया है और छोटे से पौधे में इतना बड़ा फल लगाया है। वह बोलता है :- “ अगर मैं भगवान होता तो बड़े पेड़ मे बड़ा फल और छोटे पौधों मे छोटा फल लगाता “। यह सोचते सोचते वह उस पेड़ की ठंडी छांव में सो जाता है और उसको नींद आ जाती है। थोड़ी देर बाद जब उसकी नींद खुलती है , तो तो वह देखता है कि उस बरगद के पेड़ के सारे फल आसपास गिरे हुए हैं और वहां पर उसे उसकी गलती समझ आती है।
राहुल सोचता है , कि अगर इस पेड़ में बड़े फल होते और वह उस पर गिर जाते तो पता नहीं उसका क्या होता और फिर वह समझ जाता है , कि भगवान नहीं वह बुद्धू है , जो भगवान की बनाई हुई चीजों में गलतियां निकाल रहा है। भगवान तो सर्वशक्तिमान है और वह कभी गलत नहीं हो सकते | भगवान ने इतने बड़े पेड़ में इतने छोटे फल इसीलिए लगाए हैं , ताकि अगर कभी मुझ जैसा राह चलता आदमी अपनी थकान मिटाने के लिए उस पेड़ के नीचे आराम करें तो उसे कोई तकलीफ ना हो। भगवान तो धन्य है।
शिक्षा:- भगवान ने इस धरती पर जो भी बनाया है , वह सोच समझकर बनाया है और उनके बुद्धिमता पर संदेह करना हम इंसानों को शोभा नहीं देता। हमें भगवान की बनाई हुई हर चीज को आदर देना चाहिए और उन से प्यार करना चाहिए|
Moral Of This Short Hindi Stories For Kids:- Whatever God has created on this earth, he has created it thoughtfully and it does not suit us humans to doubt their intelligence. We should respect everything God has created and love them.
5. मुर्ख शेर
( Hindi Moral Stories For Kids )
एक बार की बात है , एक जंगल के पास दो लड़के, रामचरण व किशन अपने-अपने ढोल बजा रहे थे। दोनों बजाते – बजाते जंगल के बेहद करीब आ गए थे | अचानक आंधी आई दोनों ने सोचा, ” लगता है बहुत तेज बारिश होने वाली है “। दोनों ने घर जाने का विचार किया, पर आंधी इतनी तेज थी , दोनों को कुछ ढंग से दिखाई नहीं दे रहा था। फिर भी अपने ढोल को पकड़कर, एक- दूसरे का सहारा लेकर, आगे की ओर बढ़ते चले जा रहे थे। अचानक रामचरण के हाथों से उसका ढोल गिर गया उसने इधर-उधर बहुत ढूंढा पर उसे उसका ढोल नहीं मिला।
आंधी से ढोल लुढ़कता हुआ , एक सूखे पेड़ के पास जाकर टिक गया | उस पेड़ की सूखी टहनियां ढोल से इस तरह से सट गई थी , कि तेज हवा चलते ही ढोल पर टकरा जाती थी, और ढमाढम-ढमाढम की आवाज होती।
एक शेर ने उस ढोल की आवाज सुनी। वह बड़ा भयभीत हुआ , ऐसी अजीब आवाज उसने पहले कभी नहीं सुना थी। सोचने लगा कि यह कैसा जानवर है, जो ऐसी जोरदार बोली बोलता है ” ढमाढम “। शेर छिपकर ढोल को देखने लगा, यह जानने के लिए कि यह जीव उड़ने वाला है या चार टांगों पर चलने वाला।
तभी पेड़ से नीचे उतरती हुई एक गिलहरी कूदकर ढोल पर उतरी। हल्की-सी ढम आवाज भी हुई। गिलहरी ढोल पर बैठी दाना कुतरती रही।
शेर बड़बड़ाया, ” ओह ! तो यह कोई हिंसक जीव नहीं है , मुझे भी डरना नहीं चाहिए “।
शेर फूंक-फूंककर कदम रखता, ढोल के निकट गया , उसे सूंघा। ढोल का उसे ना कहीं सिर नजर आया और ना पैर। तभी हवा के झोंके से टहनियां ढोल से टकराई। ढम की आवाज हुई और शेर उछलकर पीछे जा गिरा।
” अब समझ आया “, यह तो बाहर का खोल है , जीव इस खोल के अंदर है। आवाज बता रही है, कि जो कोई जीव इस खोल के भीतर रहता है, वह मोटा – ताजा होना चाहिए , तभी यह ढम -ढम की जोरदार बोली बोलता है।” अपनी मांद में घुसते ही शेर बोला, ” ओ शेरनी ! दावत खाने के लिए तैयार हो जा, एक मोटे ताजे शिकार का पता लगा कर आया हूं “।
शेरनी पूछने लगी, ” तुम उसे मार कर क्यों नहीं लाए ” ?
शेर ने उसे झिड़की दी, ” क्योंकि मैं तेरी तरह मुर्ख नहीं हूं। वह एक खोल के भीतर छिपा बैठा है। खोल ऐसा है , कि उसमें दो तरफ सूखी चमड़ी के दरवाजे हैं। एक तरफ से हाथ डाल उसे पकड़ने की कोशिश करता तो वह दूसरे दरवाजे से भाग न जाता ? चांद निकलने पर दोनों ढोल की ओर गए। जब वे निकट पहुंच ही रहे थे , कि फिर हवा से टहनियां ढोल पर टकराई और ढमढम की आवाज निकली। शेर शेरनी के कान में बोला, ” सुनी उसकी आवाज़ ? जरा सोच जिसकी आवाज ऐसी गहरी है, वह खुद कितना मोटा ताजा होगा। ”
दोनों ढोल को सीधा कर उसके दोनों ओर बैठे और दांतो से ढोल के दोनों चमड़ी वाले भाग के किनारे फाड़ने लगे। जैसे ही चमड़िया कटने लगी, शेर बोला ” होशियार रहना, एक साथ हाथ अंदर डाल शिकार को दबोचना है।”
दोनों ने ” हू ” की आवाज के साथ हाथ ढोल के भीतर डाले और अंदर टटोलने लगे। अंदर कुछ नहीं था , एक दूसरे के हाथ ही पकड़ में आए।
दोनों चिल्लाए, ” हे! यहां तो कुछ नहीं है “। और वे माथा पीट कर रह गए।
सीख :- बड़ी-बड़ी शेखी मारने वाले लोग भी ढोल की तरह ही अंदर से खोखले होते हैं।
Moral Of This Short Hindi Story:- People who make big boons are hollow from inside just like drums.
6. सहायता
( Moral Hindi Stories for Kids )
एक बार एक श्याम नाम का आदमी ट्रेन में सफर कर रहा था । जब ट्रेन स्टेशन पर रूकती है , तो उसे बहुत प्यास लगती है और वह पानी पीने के लिये ट्रेन से उतरता है । बहुत खोजने के बाद उसे एक नल मिलता है , वह पानी पी ही रहा होता है की ट्रेन की सीटी बज जाती है और वह चलना शुरू हो जाती है । श्याम ट्रेन पकड़ने के लिए भागता है , पर वह नाकाम होता है। रात बहुत हो गई थी और शाम को समझ नहीं आ रहा था , कि वह क्या करें, तो उसने सोचा , कि आज की रात वह स्टेशन में ही बताएगा और कल कोई दूसरी ट्रेन पकड़ कर घर चला जाएगा।
अगले दिन वह पता लगाता है , कि दूसरी ट्रेन कब निकलेगी और उसे पता चलता है , कि उसके घर जाने के लिए अगली ट्रेन अगले दिन है। वह एक पूरा दिन स्टेशन में नहीं बता सकता था , वह बहुत थक भी गया था | इसीलिए वह अपने रहने के लिए जगह खोजने लगता है। वह आसपास के होटलो में जाकर पता लगाता है पर उसे वहां रहने के लिए कोई कमरा नहीं मिलता। दिन ढल रहा था और उसके रहने की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही थी ।
चलते-चलते शाम को एक छोटा सा घर दिखता है। वह उस घर में जाकर वहां के मकान – मालिक से उसे एक रात ठहरने की अनुमति मांगता है। मकान- मालिक उसे अनुमति दे देते हैं और उसे पूरे आदर के साथ अपने घर में बुलाते हैं। वह मकान मालिक दिल का बहुत अच्छा होता है , वह शाम को खाने के लिए खाना और रहने के लिए एक कमरा देता है और बदले में उससे कुछ भी नहीं मांगता।
उसी रात मे उस मकान मालिक के यहां कुछ लोग आते हैं , जो बहुत ही अच्छे कपड़े पहने हुए होते हैं | वे उस मकान-मालिक से बहुत ही बुरी तरीके से बात कर रहे होते हैं। वे उससे कर्ज वापस करने की बात करते हैं और उनके पास पैसे ना होने की वजह से वह उन्हें बुरा भला कह कर चले जाते हैं। श्याम यह सब कुछ चुपचाप देख रहा होता है , उसे मकान- मालिक पर बहुत दया आती है।
अगले दिन सुबह स्टेशन जाने से पहले श्याम कुछ पैसे उस मकान मालिक के घर छोड़ जाता है , ताकि उससे उसकी कुछ मदद हो सके । श्याम के जाने के बाद मकान- मालिक को वह पैसे मिलते हैं , जिसमें एक चिट्ठी भी होती है और उसमें लिखा होता है -“ आपने मेरी बहुत मदद की है और उसके बदले आपने कुछ भी नहीं मांगा। मैंने कल आपकी और उस अजनबी की बाते सुन ली थी और मुझे पता चला आपको पैसो की जरूरत है और इसीलिए आप ये पैसे रख लीजिए। आप इसके हकदार हैं ”। वह चिट्ठी देखकर मकान मालिक रो पड़ता है और पूरे दिल से श्याम का धन्यवाद करता है। इस पैसे से वह अपने सारे कर्ज चुका कर कर्ज मुक्त हो जाता है।
शिक्षा :- हमें हमेशा निस्वार्थ सब की मदद करनी चाहिए।
Moral Of This Story :- We should always help everyone selflessly.
7. बुद्धिमान चिड़िया
( Hindi Moral Stories For Kids )
एक बगीचे में आम का पेड़ था। जिसमें 15 चिड़िया रहती थी। जब उसमें आम लगने स्टार्ट हुए तो वो सारी चिड़िया, पेड़ का सारा आम खा कर खराब कर देती थी। माली बहुत टाईम से बगीचा में आकर आम को छोड़ के अपने बाकी पेड़ को देख कर चला जाता था।
एक दिन अचानक माली की नजर आम के तरफ पड़ी उसने देखा कि उसके सारे आम खराब हो गए हैं | तो वह सोचता था , कि मेरे आम कैसे खराब हो जाते हैं। वो बहुत दिन से यह देखता रहा । फिर बाद में उसने वो सारी चिड़िया को देखा। तब उसे समझ आया की ये सारी चिड़िया मेरे सारे आम को खाकर खराब कर रही हैं।
माली ने उन चिड़ियों को भगाने की बहुत कोशिश की मगर वो जाती ही नहीं थी। माली उनसे बहुत परेशान हो गया था। माली ने उनको भगाने के लिए बहुत से तरकीब अपनाए। लेकिन वो सारी चिड़िया भगने का नाम ही नहीं ले रही थी। माली ने चिड़िया को डंडा भी दिखा के डराया, पर फिर भी वो उन्हें भगाने में ना कामयाब हो गया।
माली कुछ दिनों के लिए काम के सिलसिले में दूसरे शहर चला गया। माली के ना होने पर सारी चिड़िया आम के खूब मज़े ले रही थी। एक दिन सारी चिड़िया उसी पेड़ में खेल रही थी। खेलते- खेलते वो लोग, पेड़ की सारी पत्तियों को खराब कर दिए। उसी दिन माली घर वापस आया और अपने बगीचे को देखा, तो पेड़ की पतिया कटी – फटी दिख रही थी। और आम को तो पहले से ही खराब कर दिए थे।
माली बहुत गुस्से में आ गया। उसने सारी चिड़िया को ज़ोर से चिल्ला के भगा दिया। लेकिन वो चिड़िया भी बहुत जिद्दी थी। एक दो दिन बाद फिर वो सब उसी पेड़ में वापस आ गई और वहां चुप चाप बैठे रहती थी । माली को नहीं पता था, कि वो वापस आ गई है। माली सोचा, “चलो वो चिड़िया से राहत मिली। अब वो कभी मुझे दुबारा तंग नहीं करेंगे।”
वो सारी चिड़िया चुपके से आम को खाती रहती थी। माली फिर एक दिन बगीचा में आया तो देखा कि फिर से सारे आम खराब हो रहे हैं उसने बोला, “अब कौन मेरे आम को खा रहा हैं अब तो वो चिड़िया भी नहीं है “।
एक दिन सुबह अचानक माली ने उन चिडियों को देखा। उसने सोचा, अब तो इन लोगों का कुछ करना ही पड़ेगा। उसी दिन शाम को सारी चिड़िया घूमने निकली थी और उसी समय माली ने सारी चिड़िया के लिए उस पेड़ में जाल बिछा दिया।
जब चिड़िया वापस आई तो वो सब उस जाल में फंस गई। उसमें से एक चिड़िया को जाल से निकलने का आयडिया आया और बोली, ” हम सब कल सुबह मरने की एक्टिंग करेंगे और जैसे ही माली हमें आजाद करेगा हम सब उड़ जाएंगे।
अगले दिन माली उन सारी चिड़िया को देखने आता है। उसे लगता है कि, सारी चिड़िया मर गई है। तो फिर वह सोचता है, कि अच्छा हुआ ये सब मर गई, मैं तो वेसे भी इन्हें यहां से भगाना चाहता था। जैसे ही माली जाल से सारी चिड़िया को निकालता हैं, वैसे ही सारी चिड़िया उड़ कर भाग जाती है।
सीख :- हमे धैर्य से काम करना चाहिए। धैर्य से किया हुआ काम हमेशा सफलता ही देता है।
Moral Of This Hindi Story :- We must work patiently. Work done with patience always gives success.
8. दृढ़ संकल्प
( Stories For Kids In Hindi )
एक बार बिहार के रामपुरा नामक गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था । परिवार में कुल 5 सदस्य रहते थे। जिसमें एक आलोक नामक लड़का रहता था , जिसे पढ़ने का बहुत शौक था वह पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बनना चाहता था । उसके परिवार में उसकी दो बहन और उसके माता-पिता रहते थे । लेकिन उसके परिवार की हालत कुछ खास नहीं थी । वह एक छोटे से परिवार से था , जहां उन्हें दो वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल से नसीब हुआ करती थी ।
वह हमेशा सोचता था , अगर मैं पढ़ लिखकर अमीर आदमी बनता हूं तो मैं अपने मां-बाप के लिए एक अच्छा घर बना सकता हूं । उसके घर की हालत ठीक ना होने के कारण वह ज्यादातर काम में ही लगा रहता था । आलोक के गांव के पास एक स्कूल था , जहां उसने पांचवी तक अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। आलोक दिन में मजदूरी करता और रात में जो समय बचता वह पढ़ाई में लगा देता था । आलोक के पिता का नाम हरिप्रसाद था, हरिप्रसाद जी काफी शांत स्वभाव के थे।
आलोक के पिता उसे आगे पढ़ाना तो चाहते थे। मगर घर की हालत ठीक ना होने की वजह से ज्यादातर आलोक को मजदूरी के कामों में लगा दिया करते थे , मगर आलोक इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं था । आलोक जिस स्कूल में जाता था , वहां की टीचरों को यह बात बहुत अच्छी तरह से पता थी , कि आलोक को पढ़ने का बहुत शौक है । आलोक के पिता को यह बात बहुत अच्छी तरीके से मालूम थी , की उनकी आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं है । जिसके कारण आलोक के पिता उसके स्कूल गए , तो उन्होंने उसके टीचर से मिलकर कहा मैं अब अपने बच्चे को रोज पढ़ने नहीं भेज सकता । हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल सही नहीं है । मैं उसे आगे बढ़ता हुआ देखना तो चाहता हूं | लेकिन मेरे पास अब इतने पैसे नहीं है , कि मैं आलोक के आगे की स्कूल की फीस भर सकूं ।
आलोक के टीचर ने उनसे कहा कि आप आलोक के स्कूल की फीस की चिंता ना करें । इसकी स्कूल की फीस का सारा खर्चा मैं उठा लूंगा । आलोक के स्कूल के टीचर यह बहुत अच्छी तरीके से जानते थे , कि आरोल आगे बढ़कर एक बहुत ही अच्छा आदमी बन सकता है। क्योंकि उन्होंने आलोक की मेहनत देखी थी। आलोक के पिता यह सुनकर बहुत खुश हो जाते हैं , वह घर जाकर आलोक को यह बात बताते हैं , आरोल यह सुनकर उसी दिन से दृढ़ निश्चय कर लेता है , कि अब मुझे एक बड़ा आदमी बनना है।
आलोक पढ़ लिख कर एक बहुत बड़ा आदमी बनता है। लेकिन वह नहीं भूलता , कि जब उसे कोई नहीं समझ रहा था तो उसके टीचर ने उसे समझा और आगे पढ़ने का मौका दिया । इसीलिए आलोक गांव में दूसरे बच्चों के लिए एक बड़ा स्कूल अपने टीचर के नाम पर बनवाता है , जहां गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
शिक्षा :- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है , कि यदि हम पर कोई एहसान करता है , तो उसे हमें भूलना नहीं चाहिए।
Hindi Moral Stories / Moral Of Story :- This story teaches us that if someone does us a favor, he should not forget us.
9. क्रोध अंधा होता है
( Hindi Moral Stories For Kids Or Children )
राकेश और रूपा बहुत ही अमीर थे। उन्होंने अपने घर में सात से आठ नौकर, काम के लिए रखे हुए थे। दोनों अपने जीवन में बहुत खुश थे, वे एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, रूपा को अपने अमीरी पर बहुत घमंड था।
कुछ दिनों बाद उनकी सालगिरह आने वाली थी , उन लोगों ने पार्टी करने का सोचा। सालगिरह के दिन पार्टी के दौरान उनके नौकर के हाथ से गलती से जूस का गिलास रूपा के ऊपर गिरा , रूपा ने नौकर को एक थप्पड़ लगाया और बोली, ” तुम गरीब लोग ! तुम्हें क्या पता कितना महंगा ड्रेस है , यह 85,000₹ का ड्रेस है। देखा है कभी, औकात है तुम्हारी , इतने महंगे कपड़े खरीदने की, और पहनने की ” | रूपा ने नौकर को बेज्जत करने के बाद , घर से निकाल दिया। नौकर को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने रूपा को सबक सिखाने का सोचा।
एक दिन रास्ते में नौकर और राकेश टकराए , राकेश ने उससे उस दिन के लिए माफी मांगा और घर वापस चलने को कहा। नौकर बोला, ” कोई बात नहीं साहब वैसे भी मैंने ही गलती से उनके ऊपर जूस गिरा डाला था “।
राकेश, नौकर को घर लेके आता है।
रूपा, नौकर को घर आते देखकर, उससे उस दिन के लिए माफी मांगी और बोली , ” मैंने जो किया वह बहुत गलत किया था “। नौकर ने उन्हें दिखावे के लिए माफ कर दिया।
एक दिन नौकर, राकेश के रूम में झाड़ू लगाने गया उसने राकेश को आधे नींद में देखकर, जान-बूझकर सुनाने के लिए बड़बड़ाना शुरू किया, ” हमारी मालकिन ऐसे कैसे कर सकती है , इतने अच्छे साहब को छोड़कर किसी और के साथ बात करती है “।
यह सुनकर राकेश उठकर नौकर से पूछा, ” क्या यह वाकई में सच है ? क्या तुमने उन दोनों को बात करते हुए सुना है ? ” नौकर वहां से बात को पलट कर चला गया।
नौकर ने राकेश के मन में रूपा के लिए शक का बीज बो दिया। राकेश ने रूपा के ऊपर नज़र रखना शुरू कर दिया। दोनों के बीच लड़ाइयाँ भी शुरू हो गई।
लड़ाई-झगड़े से तंग आकर रूपा अपने मायके चली गई। बात इतनी बढ़ गई थी, कि दोनों के बीच तलाक तक की बात आ गई थी।
एक दिन फिर नौकर झाड़ू लगाने आया , उसे लगा राकेश सच में सो रहा है। तो इस बार वो अपने मन की बात हँसते हुए बड़बड़ाने लगा, ” हे भगवान ! हमारे साहब इतने मूर्ख हैं, उन्होंने मेरे बातों को सुनकर अपनी निर्दोष पत्नी को तलाक देने का सोच लिया है “।
राकेश उस समय जाग रहा था, उसने नौकर की पूरी बात सुन ली, और गुस्से में नौकर को बोला, ” मूर्ख नौकर ! तुम्हारे कारण मैंने अपनी पत्नी को गलत समझा, उससे तलाक लेकर बहुत बड़ी गलती करने वाला था। अच्छा हुआ था, कि मेरी पत्नी तुझे घर से बाहर निकाल दी थी । तुम्हें घर वापस लाकर मैंने बहुत बड़ा पाप कर दिया।
नौकर बोला, ” मुझे माफ़ कर दो। उस दिन गलती से मेरे हाथ जूस गिर गया था। लेकिन मालकिन ने मेरी बहुत बेज्जती कर दी थी , तभी मैंने ये सब बदला लेने के लिए किया “।
राकेश और रूपा, दोनों उसके बातों को समझे और उससे माफ़ी मांगे। लास्ट में सब नॉर्मल हो गया।
सीख :- यह कहानी हमें दो अद्भुत सीख देती है :- पहली यह कि, हमें सब को एक समान समझना चाहिए , किसी को बड़ा या छोटा नहीं समझना चाहिए। सभी को बराबर का आदर और सम्मान देना चाहिए। और दूसरी यह है, कि हमें किसी की बातों पर बिना देखे विश्वास नहीं करना चाहिए , इससे हम ही संकट में फंस सकते हैं।
10. गुलाब का पौधा
( Hindi Short And Moral Stories For Kids )
आदि एक बहुत ही होशियार बच्चा था , पर वो थोड़ा आलसी भी था | अपने काम की जिम्मेदारियों को नहीं समझता था और इसीलिए हमेशा स्कूल से उसकी शिकायतें आया करती थी। कभी वह होमवर्क ले जाना भूल जाता था , तो कभी होमवर्क करना ही भूल जाता था| आदि की मम्मी उससे बहुत परेशान हो गई थी और वह उसे ठीक करने की तरकीब सोचने लगी|
अगले दिन आदि अपनी मम्मी को खोजते हुए पूरे घर में घूम रहा था। और वह उन्हें उनके घर के गार्डन में मिली जहां वह गुलाब के पौधे लगा रही थी। आदि की मम्मी उसे अपने पास बुला कर कहती है:- “ मैं दो गुलाब के पौधे लगा रही हूं जिसमें से एक का ख्याल तुम रखोगे और एक का मैं, देखते हैं हम दोनों में से किसके पौधे में ज्यादा गुलाब उगते हैं ”। यह बात सुनकर आदि बहुत खुश हो जाता है और वह अपनी मम्मी से कहता है:- “ आप देखना मेरे पौधे में ही सबसे ज्यादा गुलाब होंगे ”।
इसके बाद आदि और उसकी मम्मी दोनों अपने-अपने पौधे का ख्याल रखते हैं। आदि कुछ दिनों तक गुलाब के पौधे को अच्छे से पानी देता है और उसकी सेवा जतन करता है। क्योंकि आदि थोड़ा आलसी था और जिम्मेदारी से भागना उसकी आदत थी , तो कुछ दिनों बाद वह पौधे का ध्यान रखना छोड़ देता है और अपने दोस्तों के साथ खेलने में मगन हो जाता है।
थोड़े दिन बाद आदि की मम्मी के गुलाब के पौधे में बहुत सारे खूबसूरत गुलाब उग आते हैं , वही आदि के पौधे में एक भी कली नहीं उगती और वह थोड़ा मुरझा भी जाती है। जब आदी यह देखता है , तो वह बहुत दुखी होता है। वह अपनी मम्मी से पूछता है:- “ आप के पौधे में इतने सारे गुलाब कैसे आ गऐ और मेरे पौधे में एक कली भी नहीं हुई है ऐसा क्यों ”। इस पर आदि की मम्मी कहती है:- कयोकि मैंने अपनी पौधे का बहुत ध्यान रखा। उसे सही मात्रा में पानी दिया , सूरज की रोशनी दी और मैं रोज उससे बातें भी किया करती थी। इतनी मेहनत के बाद ही मुझे परिणाम में यह सुंदर गुलाब मिले हैं। परंतु तुमने अपने पौधे का ढंग से ख्याल नहीं रखा और इसीलिए वह इतने मुरझा गए हैं ”| यह सुनने के बाद आदि को उसकी गलती का एहसास होता है और वह अपनी पौधे का दिन-रात ख्याल रखता है।
इसके बाद आदि के भी पौधे में बहुत सुंदर गुलाब उग आते हैं । यह देखकर आदि बहुत खुश हो जाता है और वह समझ जाता है की- मेहनत के बिना कुछ भी पाना संभव नहीं है। आप जितनी मेहनत करेंगे उतना ही अच्छा आपको परिणाम मिलेगा। और आदि एक बहुत ही मेहनती और जिम्मेदार बच्चा बन जाता है|
शिक्षा :- अपने काम से कभी नहीं भागना चाहिए बल्कि उसको सच्चे मन और लगन से पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए
Moral Of The Story In Hindi:- You should never run away from your work, but try to fulfill it with true mind and perseverance.
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