जहरीला फल और तोता की कहानी - Tote Ki Kahani In Hindi

जहरीला फल और तोता की कहानी

जहरीला फल और तोता की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, ढोलकपुर नाम के शहर मे एक राजा रहते थे, जिनका नाम था युवराज सिंह| राजा को पंछियों का बहुत शौक था, जिसके चलते वह दूर-दूर देशों से किस्म-किस्म की पक्षियों को इकट्ठा करते थे और उन्हें अपने आंगन में रखते थे| यह सारे पंछि उन्हें बहुत प्रिय थे पर उनमें से सबसे ज्यादा प्रिय उनका तोता था| इस तोते का नाम रामजी था| रामजी एक बहुत ही चतुर तोता था, जिसकी वजह से राजा उसे हमेशा अपने पास रखते थे|

वे अपने सारे फैसले फिर चाहे वह बड़ा हो या छोटा रामजी से पूछ कर लेते थे| राम जी की सलाह राजा को निर्णय लेने में हमेशा मदद करती थी और इसीलिए रामजी से पूछे बिना राजा कभी भी कोई भी काम नहीं करते थे|

एक दिन रामजी के रिश्तेदार उसे मिलने आते हैं और वह उससे कहते हैं, कि उसके माता-पिता उससे मिलना चाहते हैं| रामजी को भी अपने माता-पिता से मिलना था, इसीलिए वह राजा के पास जाता है और उनसे अपने माता पिता के पास जाने की अनुमति मांगता है| राजा रामजी से दूर नहीं जाना चाहते थे और तो और उन्हें डर था, कि अगर वह चला गया तो शायद वापस ना आए। इसलिए उन्हें समझ नहीं आ रहा था, कि वह क्या करें ? तब रामजी ने राजा से यह वादा किया, कि वह वापस जरूर आएगा और वापस आते वक्त वह एक जादुई फल ले आएगा | जिसे खाने से राजा की उम्र घट जाएगी और वह फिर से जवान हो जाएंगे | रामजी की बात सुनकर युवराज सिंह बहुत खुश हुए और उन्होंने उसे जाने की अनुमति दे दी|

अगली सुबह रामजी अपने घर पहुंच गया, जहां पर उसके माता-पिता ने उसका खूब स्वागत किया| वहां पर एक हफ्ता सही से बिताने के बाद वह लौटने की तैयारी कर रहा था और लौटते वक्त उसने अपने माता-पिता से जादुई फल मांगा, ताकि वह उसे अपने राजा को दे सके| रामजी के माता पिता ने उसे वह जादुई फल दे दिया|

रामजी वापस महल लौट आया और वापस आते ही सबसे पहले राजा से मिलकर उन्हें यह जादुई फल दे दिया | राजा युवराज सिंह जादुई फल देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने सोचा, कि वह इस फल की मदद से एक पेड़ उगाएंगे, जिसके बाद इस जादुई फल का लाभ सिर्फ वो ही नहीं बल्कि उनकी जनता भी ले पाएगी | उन्होंने यह अपने बगीचे के मालिक को दे दिया, ताकि वह इसे बो दे |

देखते ही देखते जादुई फल का पेड़ बड़ा हो गया, जिसमें बहुत सारे फल उग आए। उसमें से एक फल जमीन पर गिर गया| उस फल को देखकर वहां पर घूम रहा सांप उसके पास जाता है और उसे खाने के चक्कर में उसमें फन मारकर चला जाता है| सांप के ऐसा करने से वह फल जहरीला हो जाता है| जब माली उस फल को देखता है, तो वह तुरंत उसे राजा के पास ले जाता है और राजा यह सोचते हैं, कि वह इस फल को सबसे पहले भगवान को अर्पण करेंगे | इस फल को मंदिर में भगवान को अर्पण करने के बाद वहां के पुजारी उसे अपने घर ले जाते हैं और पुजारी उनकी बीवी और उनका बेटा तीनों फल खा लेते हैं, जिसके बाद जहर की वजह से उनकी मौत हो जाती है|

जब राजा तक यह बात पहुंचती है, तो वह आश्चर्यचकित हो जाते हैं| राजा के सारे मंत्रियों का कहना था, की यह रामजी की चाल है और इतने दिनों से महल में रहकर वह राजा को मारने का योजना बना रहा था | यह सब सुनकर राजा को रामजी पर बहुत गुस्सा आता है और वह तुरंत उसका सर कलम कर देते हैं और यह आदेश देते हैं, कि उस पेड़ का फल कोई ना खाए|

एक दिन एक बुजुर्ग जोड़ा उस पेड़ के पास आता है| वे दोनों बूढ़े होने के साथ-साथ बहुत ही गरीब थे, जिसकी वजह से उस पेड़ का फल खाकर वह अपनी जान देना चाहते थे और वह बिल्कुल ऐसा ही करते हैं।  पर चमत्कार तो तब होता है, जब उन्हें पता चलता है, वे मरे नहीं है, बल्कि वह जवान हो चुके हैं| जब राजा के कानों तक यह बात पहुंचती है, तो उन्हें एहसास होता है, कि कोई तो गड़बड़ हुई है|

वे पेड़ के पास पहुंचते हैं और आसपास देखते हैं| उन्हें वहां पर सांप का एक बिल मिलता है| वे माली को बुलाकर उससे पूछते हैं कि उसे वह फल कहां मिला था ? माली कहता है, कि वह उसे जमीन में पड़ा हुआ मिला था| यह सुनने के बाद राजा को सब कुछ समझ आ जाता है। वे जान जाते हैं, कि वह फल जहरीला कैसे हो गया था|

अब राजा को अपनी गलती का एहसास होता है और वे रामजी को याद करके बहुत रोते हैं|


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शिक्षा:-  हमें इस ” जहरीला फल और तोता की कहानी ” से यह शिक्षा मिलती है, कि हमें जल्दबाजी में कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए| चाहे कितनी भी बड़ी आफत आ जाए, हमें सोच समझकर सच्चाई का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए| क्योंकि एक गलत निर्णय किसी कि जिंदगी बर्बाद कर सकता है|

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